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प्रयागराज का मतलब क्या होता है? Payagraj Meaning

 प्रयागराज का मतलब क्या होता है?

प्रयागराज: एक आस्था, एक इतिहास, एक पहचान

प्रयागराज, नाम सुनते ही मन में एक पवित्रता-सी उतर आती है. इस शहर का अर्थ है “यज्ञों का स्थान” या “तीर्थों का राजा”. यह वही धरती है जहाँ गंगा, यमुना और रहस्यमयी सरस्वती मिलती हैं — जिसे हम त्रिवेणी संगम के नाम से जानते हैं.

कहा जाता है कि सृष्टि के आरंभ में, स्वयं ब्रह्मा जी ने यहीं पहला यज्ञ किया था, और तभी से यह स्थान “प्रयाग” कहलाया. बाद में इसे “प्रयागराज” कहा जाने लगा — यानी “वो स्थान जहाँ पहला और सबसे पवित्र यज्ञ हुआ”.

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प्रयागराज का अर्थ

‘प्रयागराज’ दो शब्दों से मिलकर बना है:
“प्र” यानी “प्रथम”, और “याग” यानी “यज्ञ”. यही नाम इसकी दिव्यता की जड़ है.

इस शहर को पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, लेकिन इसकी पहचान उससे कहीं गहरी और पुरानी है. ये सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि हिंदू आस्था का जीवित प्रतीक है. यहां हर 12 साल में महाकुंभ और हर 6 साल में अर्धकुंभ लगता है, जहां लाखों-करोड़ों श्रद्धालु स्नान करने संगम आते हैं — उस पुण्य की तलाश में जो जन्म-जन्मांतर के बंधनों से मुक्ति दिला दे.

प्रयागराज की गलियों में इतिहास की गूंज है, इसकी हवाओं में श्रद्धा की खुशबू, और इसकी मिट्टी में संस्कारों की जड़ें। यह शहर सिर्फ़ नक्शे पर नहीं, बल्कि हर श्रद्धालु के दिल में बसता है.

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