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प्रयागराज का इतिहास Prayagraj History in Hindi

प्रयागराज-इलाहाबाद का इतिहास

प्रयागराज (Prayagraj),उत्तर प्रदेश का एक जिला है जोकि एक प्रशासनिक और शैक्षिक शहर भी है जहाँ पर गंगा (Ganga-Yamuna Confluence) यमुना तथा लुप्त सरस्वती का संगम है जिसे त्रिवेणी (Triveni Sangam) कहा जाता है. यहां दुनिया का सबसे बड़ा मेले का आयोजन होता है. प्रयाग विशेषकर हिन्दुओं के लिए पवित्र स्थल है. प्रयाग (वर्तमान में प्रयागराज) में आर्यों की प्रारंभिक बस्तियां स्थापित हुई थी.

प्राचीन काल में आज के प्रयागराज को प्रयाग के नाम से जाना जाता था. वहीं मुगल शासकों ने अपने शासन काल में इसका नाम बदलकर प्रयाग से अल्लाबास (अल्लाहबाद) कर दिया जिसका अर्थ था ‘जहां अल्लाह वास करे’ यानी अल्लाह का शहर जो कालांतर में धीरे-धीरे ‘इलाहाबाद’ (Allahabad) हो गया. उसके बाद से कई बार इस शहर के नाम बदलने की मांग की गई. नाम बदलने की सिफारिश करने वालों की सूची में पहला नाम महामना का आता है जिन्होंने 1939 में इलाहाबाद का नाम बदलने की मुहिम छेड़ी थी. महामना यानी पं. मदन मोहन मालवीय.

फिर 1982 में टीकरमाफी के पीठाधीश्वर हरि चैतन्य ब्रह्मचारी ने इंदिरा गांधी से इलाहाबाद का नाम बदलने की सिफारिश की और 1996 में महंत नरेंद्र गिरी ने इलाहाबाद का नाम बदलने की मांग की. कुल मिलाकर इलाहाबाद शहर का नाम बदलने की सिफारिश और मांग वर्षों से की जा रही थी.
इस मांग पर पूर्ण विराम तब लगा जब यूपी की योगी सरकार ने ‘इलाहाबाद’ को इसका वास्तविक नाम वापस दिलाया. आखिरकार 16 अक्टूबर 2018 के बाद से इलाहाबाद शहर को प्रयागराज के नाम से जाना जाने लगा..

यहां इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court), उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् (UP Board Office), पुलिस मुख्यालय (PHQ), MNNIT, मेडिकल और कृषि कॉलेज,IIIT झलवा , ITI नैनी, इफको फूलपुर, त्रिवेणी ग्लास आदि प्रमुख संस्थान हैं.

यह पर हर साल माघ मेला तथा हर 6वें वर्ष अर्द्ध कुम्भ और 12 वर्ष पर महाकुम्भ मेले का आयोजन होता है जिसमें करोड़ों श्रद्धालु संगम दर्शन के लिए देश-विदेश से प्रयागराज आते हैं.

प्रयागराज वह भूमि है जिसने हमेशा से महान व्यक्तित्व का सृजन किया. जैसे-देश की प्रथम प्रधानमंत्री, प्रथम महिला प्रधानमंत्री,हिन्दी साहित्य लेखक एवं कवि,राज नेता और अभिनेता सहित प्रशासनिक अधिकारी आदि जिनके कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं….

मोतीलाल नेहरु,जवाहर लाल नेहरू,इंदिरा गांधी,मदन मोहन मालवीय,महादेवी वर्मा,सुमित्रानंदन पंत,हरिवंश राय बच्चन,सूर्यकांत त्रिपाठी निराला,सर सुंदरलाल,डॉ. अमरनाथ झा,धर्मवीर भारती,चंद्रशेखक आज़ाद, मेजर ध्यानचंद,नरिगस दत्त,मो. कैफ, अमिताभ बच्चन आदि.

सृष्टि का पहला यज्ञ प्रयाग की धरती पर हुआ था

हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूरा होने पर पहला यज्ञ किया था. इसी प्रथम यज्ञ के ‘प्र’ और ‘याग’ अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना.उसी स्थान का नाम ‘प्रयाग’ (Prayag) पड़ा. भगवान श्री ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ यहीं सम्पन्न किया. इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहाँ माधव रूप में विराजमान हैं. भगवान के यहाँ 12 स्वरूप विध्यमान हैं. जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है.

 

प्रयागराज ( Prayagraj) सबसे बड़े हिन्दू सम्मेलन महाकुंभ की 4 स्थलियों में से एक है, बाकी को 3 हरिद्वार,उज्जैन और नासिक हैं.प्रयाग सोम, वरूण तथा प्रजापति की जन्मस्थली है. प्रयाग का वर्णन वैदिक और बौद्ध शास्त्रों के पौराणिक पात्रों के सन्दर्भ में भी रहा है. यह महान ऋषि भारद्वाज, ऋषि दुर्वासा तथा ऋषि पन्ना की ज्ञानस्थली थी. ऋषि भारद्वाज यहां लगभग 5000 ई०पू० में निवास करते हुए 10 हजार से अधिक शिष्यों को पढ़ाया. वह प्राचीन विश्व के महान दार्शनिक थे.

वर्तमान झूंसी क्षेत्र,चंद्रवंशी (चंद्र के वंशज) राजा पुरुरव का राज्य था. पास का कौशाम्बी क्षेत्र वत्स और मौर्य शासन के दौरान समृद्धि से उभर रहा था. 643 ई० में चीनी यात्री हुआन त्सांग ने पाया कि कई हिंदुओं द्वारा प्रयाग का निवास किया जाता था और वे इस जगह को अति पवित्र मानते थे.

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