Dengue: कम प्लेटलेट्स से छिन सकती है आंखों की रोशनी,प्रयागराज में ऐसे 2 मामले
Prayagraj: बाढ़ का पानी कम होने के साथ या यूं कहें बरसात के बाद डेंगू की समस्या बढ़ जाती है. शहर में लगातार डेंगू (Dengue) से ग्रसित हो रहे हैं. डेंगू बुखार में मरीज के ब्ल्ड में प्लेटलेट्स की संख्या में लगातार गिरावट होती जाती है. यहां तक की शरीर में चकत्ते तक पड़ने लगते हैं. सही समय पर इलाज न होने से यह प्राण घातक भी हो सकती है.
प्रयागराज (Prayagraj) में 2 ऐसे मामले आए हैं जिनमें मरीज की आंखों की रोशनी चली गई. दोनों ही मरीज डेंगू से ग्रसित थे जिन्हें दिल्ली एम्स रेफर कर दिया गया. दूसरे मरीज का इलाज मनोहर दास नेत्र चिकित्सालय में चल रहा है.
विशेषज्ञों की मानें तो डेंगू की वजह से जब प्लेटलेट्स (Platelets) काउंटिंग 25 हजार से कम हो जाती है तो कभी-कभी मरीज की आंख के पीछे अंदर ही अंदर खून का रिसाव शुरु हो जाता है. इससे आंख बाहर की ओर उभर लगने लगती है जिसे नेक्रोसिस (पैनाफथालमिटिस) कहते हैं.
इससे आंख की रोशनी जाने का खतरा रहता है. ऐसे में आंख के निकालकर पत्थर की आंख लगानी पड़ती है.
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य एसपी से सिंह बताते हैं कि उनके सामने पहले इस प्रकार के मामले आएं जिसमें डेंगू के कारण आंख की रोशनी चली गई हो.
पहला मामला
पहला मामला प्रयागराज के ही राजीव को हैदराबाद में डेंगू से ग्रसित होने के बाद इलाज कराने प्रयागराज (Prayagraj) आ गए. जब वह अस्पताल पहुंचे तो उनकी आंखे काली पड़कर बाहर आ चुकी थी. रिपोर्ट में वजह सामने आई कि प्लेटलेट्स कम हो जाने के कारण आंख के पीछे से खून का रिसाव होने लगा और उन्हें नेक्रोसिस हो गया था.
दूसरा मामला
दूसरा मामला मेजा के अजय कुमार का है जिन्हें 24 सितम्बर को तेज बुखार आया और जांच के बाद रिपोर्ट में डेंगू पॉजटिव आई. इसके बाद प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज हुआ और बुखार ठीक हो गया, लेकिन आंखों में दर्द उठा.
डेंगू में आंख से संबंधित सबकॉन्जक्टिवल हेमरेज से लेकर ऑप्टिक न्यूरोपैथी तक हो सकती है.इस बुखार में पैनेफथालमिटिस एक दुर्लभ खोज है.इसमें आंखों में दर्द, लालिमा, सूजन और दृष्टि में नुकसान पहुंचता है.- डॉ. एसपी सिंह, प्राचार्य, मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज