National Sports Day: मेजर ध्यानचंद की रोचक किस्से
National Sports Day
(Hockey Wizard Major Dhyan Chand)
हॉकी के जादूगर
प्रयागराज (Prayagraj) में जन्मे ध्यानचंद पहलवान बनने चाहते थे,वो लोकनाथ की गलियों में पहलवानी के दांव पेंच सीखने जाया करते थे. लेकिन सेना में कार्यरत रहे अपने पिता के झांसी ट्रांसफर होने पर वो भी झांसी चले गए और उनका रुझान हॉकी तरफ बढ़ता गया कि वो ‘हॉकी विज़ार्ड’ यानी हाकी के जादूगर कहलाए.
ध्यान सिंह से ध्यानचंद बने
बचपन का नाम ध्यान सिंह था. वो अक्सर चांद की रोशनी में हॉकी का अभ्यास करते थे.इसलिए लोग उन्हें चांद के नाम से पुकारा करते थे. धीरे-धीरे वे चांद से चंद और फिर ध्यानचंद कहलाने लगे.16 साल की उम्र में भारतीय सेना में एक सिपाही के रूप में शामिल हुए.वे अपनी प्रतिभा की बदौलत पदोन्नत होते गए.रेजिमेंटल मैच खेलते हुए उन्होंने सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया न्यूजीलैंड दौरे के लिए भारतीय सेना टीम में चुने गए.इस दौरे में टीम ने 18 मैच जीते और सिर्फ 1 मैच हारी.इसके बाद ध्यानचंद को पुरस्कृत करते हुए सांस नायक के पद पर पदोन्नत किया गया.
प्रयागराज से जुड़ी यादें
आजादी के अगले एक दो सालों में भारतीय टीम झांसी से कोलकाता जाते वक्त एक दिन के लिए प्रयागराज में रुकी. टीम के साथ ध्यानचंद भी थे. शाम को इलाहाबाद विश्वविद्यालय मैदान में मुस्लिम यंग मैन एसोसिएशन (MYMA) क्लब के साथ मैत्री मैच खेले. यहां वे दो खिलाड़ियों के खेल से बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें बारी-बारी से कंधे पर उठा लिए थे. इविवि के साइंस फैकल्टी में उनके सम्मान में मेजर ध्यानचंद के नाम पर एक स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर बना है.
उन्हीं की जयंती के मौके पर देश में देशवासियों को स्पोर्ट्स के प्रति जागरूक करने के साथ साथ उन्हें फिट रहने के उद्देश्य से राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day) मनाया जाता है.