
इस लेख में आपको प्रयागराज और इसके इतिहास (History Of Prayagraj In Hindi) के बारे में संक्षेप में एकदम सटीक जानकारी मिलेगी….
प्रयागराज का इतिहास (History Of Prayagraj)
प्रयागराज (पहले इलाहाबाद) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी है. यह शहर भारत के सबसे पुराने और पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है और इसे हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. यहाँ पर गंगा, यमुन और सरस्वती नदियों का संगम (त्रिवेणी संगम) है, जो इसे विशेष धार्मिक महत्व प्रदान करता है.
प्राचीन काल में प्रयागराज
प्रयागराज का इतिहास अत्यन्त प्राचीन है. इसे “प्रयाग” कहा जाता था, और यह स्थान एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध था. यहाँ पर पवित्र यज्ञों और तर्पणों का आयोजन किया जाता था. महाभारत में भी इसका उल्लेख मिलता है, जहाँ पाण्डवों ने यहाँ पर यज्ञ किया था. इस क्षेत्र का सम्बंध ऋग्वेद से भी जोड़ा जाता है, जहाँ इसे ‘त्रिवेणी’ (तीनों नदियों का संगम) कहा गया है.
प्रयागराज का इकलौता बिना मूर्ति वाला मंदिर
मुगल काल और इलाहाबाद (Prayagraj/Allahabad)
मुगल सम्राट अकबर ने 1583 में इलाहाबाद किला बनवाया और इसे अपनी शक्ति का प्रतीक माना. अकबर ने इस शहर को एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक और सैन्य केंद्र के रूप में स्थापित किया. इलाहाबाद का नाम भी अकबर के दरबार के प्रमुख मंत्री मीर अब्दुल अली से जुड़ा हुआ माना जाता है, जिन्होंने इसे “इलाहाबाद” नाम दिया, जिसका अर्थ है ‘ईश्वर का शहर’. मुगलों के बाद इस शहर ने बहुत से राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों को देखा. Prayagraj: प्रयागराज का Sky Walk ब्रिज Curzon Bridge
ब्रिटिश काल और आधुनिक प्रयागराज
ब्रिटिश शासन के दौरान इलाहाबाद महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र बना रहा. 19वीं शताब्दी के अंत तक, इलाहाबाद में कई महत्वपूर्ण ब्रिटिश भवनों का निर्माण हुआ. यहाँ पर 1857 की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटीं. यह शहर भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का भी एक केंद्र बन गया था, और यहाँ पर कई ऐतिहासिक बैठकें आयोजित की गईं.
1857 क्रांति के बाद कैनिंग ने यहां पढ़ा था मैग्ना कार्टा
1857 के विद्रोह के बाद महारानी विक्टोरिया द्वारा भारत का अधिपत्य पूर्णत: ईस्ट इंडिया कम्पनी से लेकर ब्रिटिश सरकार को सौंपने की उद्घोषणा इसी शहर के यमुना नदी के बाएं तट पर एक खुली जगह में पढ़ा गया था जिसे पहले मिन्टो पार्क और अब महामना पं. मदनमोहन मालवीय पार्क कहा जाता है. ये है प्रयागराज का गोल्डन टेंपल! देखें तस्वीरें Golden Temple Prayagraj
प्रयागराज का नाम परिवर्तन
2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर पुनः प्रयागराज रख दिया. यह नाम ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से अधिक प्रासंगिक माना गया, क्योंकि यह नाम प्राचीन काल से अस्तित्व में था और धार्मिक महत्व को दर्शाता है.
प्रयागराज के प्रमुख स्थल और धार्मिक महत्व
प्रयागराज का त्रिवेणी संगम, जहाँ गंगा, यमुन और सरस्वती नदियाँ मिलती हैं, एक प्रमुख तीर्थ स्थल है. हर साल यहाँ कुम्भ मेला आयोजित किया जाता है, जो विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है. संगम के आसपास कई अन्य धार्मिक स्थल जैसे प्रयागराज किला, लेटे हनुमान जी मंदिर, और शंकर विमान मण्डपम् आदि भी स्थित हैं.
प्रयागराज का इतिहास एक समृद्ध और विविधतापूर्ण धरोहर को दर्शाता है. यह शहर प्राचीन संस्कृति, धार्मिकता और राजनीतिक घटनाओं का संगम है, और भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. वर्तमान में यह धार्मिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है.