लेटे हनुमानजी मंदिर प्रयागराज Bade Hanuman Mandir Prayagaraj
लेटे हनुमानजी मंदिर प्रयागराज Bade Hanuman Mandir Prayagaraj
लोकेशन:
लेटे हनुमान मंदिर (Lete Hanuman Mandir),संगम क्षेत्र प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
मंदिर बंद होने का समय: रात 9 बजे ; मंगलवार और शनिवार को मंदिर बंद होने का समय रात्रि 10 बजे
आरती का समय (Lete Hanuman Ji Aarti Time)
श्री बड़े हनुमान जी की विशेष आरती प्रतिदिन रात्रि 8 बजे
मंगलवार और शनिवार के दिन सायं 7:40 से रात्रि 8:30 बजे आरती के समय तक भक्तों का प्रवेश वर्जित रहता है.
नजदीकी रेलवे स्टेशन: मंदिर से प्रयागराज जंक्शन (Prayagraj Junction Railway Station) सिविल लाइंस लगभग 6.4 किलोमीटर की दूरी पर.
नजदीकी हवाई अड्डा: बमरौली हवाई अड्डा हनुमान मंदिर से लगभग 16.9 किलोमीटर की दूरी पर है.
विशेषता:
इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां हनुमान जी की मूर्ति लेटी हुई मुद्रा में है.
दूसरा नाम: बड़े हनुमान जी मंदिर (Bade Hanuman Mandir Prayagaraj),बंधवा वाले हनुमान जी (Bandhwa Wale Hanuman Ji),लेटे हनुमान जी (Lete Hanuman Mandir Prayagraj/Allahabad) आदि
हनुमान जी सनातनियों के प्रमुख देवताओं में एक हैं. लेटे हनुमान मंदिर (Lete Hanuman Mandir) हिन्दूओं का एक प्रसिद्ध मंदिर है जो उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (Prayagraj/Allahabad) में स्थित है. इस मंदिर के विशेषता यह है कि हनुमान जी यहां लेट हुए हैं यानी इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति लेटे हुई है. यह हनुमान मंदिर दुनिया में एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां पर भगवान हनुमान जी कि लेटी हुई प्रतिमा (Lete Hanumna Ji) को पूजा जाता है.लेटे हनुमान जी को प्रयाग का कोतवाल कहा जाता है और यहां गंगा में स्नान का पुण्य, इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन के बिना अधूरा माना जाता है.
हर साल गंगा जी कराती हैं स्नान
हर वर्ष गंगा अपने जल से हनुमान जी का स्पर्श करती हैं और उसके बाद गंगा का पानी उतर जाता है. गंगा और यमुना में पानी बढ़ने पर लोग दूर-दूर से यहां का नजारा देखने आते है. मंदिर के गर्भगृह में हनुमान जी की मूर्ति स्थपित है जो मंदिर के 8.10 फीट नीचे है.
मान्यतानुसार हनुमान जी का गंगा में स्नान भारत भूमि के लिए सौभाग्य का सूचक माना जाता है. मंदिर में गंगा का प्रवेश प्रयागराज (Prayagraj) और संम्पूर्ण विश्व के लिए कल्याणकारी का सूचक माना जाता है.
मंदिर की स्थापना के बारे में एक दंत कथा यह भी है कि एक बार एक व्यापारी हनुमान जी की भव्य मूर्ति को अपनी नाव से लेकर गंगा में कहीं जा रहा था. जब वह अपनी नाव लिए प्रयाग (Prayag) के नजदीक पहुंचा तो उसकी नाव धीरे-धीरे भारी होने लगी तथा संगम (Sanagam)के नजदीक पहुंच कर गंगा जी के जल में डूब गई. कालान्तर में कुछ समय बाद जब गंगा जी के जल की धारा ने कुछ राह बदली तो वह मूर्ति दिखाई पड़ी. उसी जगह मंदिर की स्थापना की गई.
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