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Khusro Bagh Prayagraj: खुसरो बाग प्रयागराज का इतिहास;घूमने की जगह

खुसरो बाग का इतिहास प्रयागराज

खुसरो बाग प्रयागराज Khusro Bagh Prayagraj

खुसरो बाग प्रयागराज का इतिहास Khusro Bagh Prayagraj History

Prayagraj प्रयागराज रेलवे जंक्शन के सामने (खुल्दाबाद तरफ) खुसरो बाग (Khushro Bagh) स्थित है.जिसका निर्माण 1607 में किया गया था. यह सबसे बड़ी दीवार वाला गार्डेन है जो करीब 40 एकड़ में फैला हुआ है.

यहां बने तीन बड़े प्रमुख मकबरे हैं जो चारो तरफ से बगीचों से घिरा हुआ है.इस बाग में चार रास्ते निकलते हैं. यहां पर अमरूद के पेड़ अधिक हैं. इसलिए यहां हर साल अमरूद का त्योहार मनाया जाता है. अगर आपको प्रकृति का पूर्ण रूप से आनंद लेना है तो इस बगीचे में आप आ सकते हैं साथ ही आप यहां योगा या जॉगिंग भी कर सकते हैं. यहां हर वर्ग के लोग घूमने आते हैं.

 

मुगल जब भारत आए थे यहां की जलवायु उनको आकर्षित करने लगी थी. यहां अकबर ने विशाल किला यमुना नदी के किनारे बनावाया था. इसी के आगे लगभग 6 किमी दूर खुसरो बाग स्थित है जो किले के बाद दूसरा सबसे बड़ा निर्माण मुगलों का था.

खुसरो बाग का इतिहास (Khusro Bagh History)

मुगल साम्राज्य का तीसरा राजवंश अकबर का था जिसने 1542 से 1605 के बीच शासन किया था. अपने शासन काल में वह प्रयागराज (Prayagraj/Allahabad)आया और यहां उसने यमुना किनारे एक किला (इलाहाबाद किला Allahabad Qila / Akbar Fort) बनवाया. अकबर का पुत्र जहांगीर मुगल वंश का चौथा राजवंश था.उसने संप्रभुता के लिए अपने ही पिता अकबर से बगावत कर ली और साल 1605 ई. में जहाँगीर को एक जमींदार अधिकारी बना दिया गया और फिर वह इलाहाबाद किले का राजा बन गया. इसके बाद जहांगीर का बेटा खुसरो मिर्जा सिंघासन के लिए अपने ही पिता जहांगीर पर विद्रोह कर देता है. इस पिता और पुत्र के बीच की लड़ाई को देख खुसरो की माता सुल्तान बेगम आत्ममहत्या कर लेती हैं. यहीं से खुसरो बाग का निर्माण होता है. जहां सं 1607 में खुसरो की माता का पहला मकबरा बनाया गया.

खुसरो को अंधा कर यहां बंदी बनाया गया

खुसरो द्वारा की गई बगावत उसी पर भारी पड़ी क्योंकि उसने अपने ही पिता जहांगीर के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. जहांगीर ने अपने पुत्र खुसरो को अंधा करके इसी बाग में बंदी बनाकर रखा था. राजगद्दी प्राप्ति की गई जंग में खुसरो को मौत हासिल हुई.

साथ ही इस जंग में जहांगीर के दूसरे पुत्र खुर्रम ने उसकी मृत्यु पर साथ दिया था, जिसके चलते सिंहासन की प्राप्ति खुर्रम कर लेते हैं. बाद में उन्हें शाहजहाँ के नाम से जाना जाता है. 1622 इसवी में दूसरा मकबरा ख़ुसरो मिर्ज़ा का बनाया जाता है. उनका मकबरा उनकी माता के मकबरे के ठीक बगल में बनाया गया है.

तीसरा मकबरा निथार बेगम का है जो खुसरो मिर्जा की बहन थीउनकी कब्र उनकी मां और भाई के बीच में है. उसपर कोई मकबरा नहीं बनाया गया था.

गाइड के लिए खुसरो बाग प्रयागराज का मैप

जहांगीर के दरबारी ने बनाया था डिजाइन

जहांगीर के महत्वपूर्ण दरबारी आका रज़ा एक बेहतरीन कलाकार थे. जिन्होनें इस बाग के प्रवेश द्वार, बागीचों के बीच मकबरे को केंद्रित रखने वाले और सुल्तान बेगम के 3 स्तरीय मकबरे को डिजाइन किया था.

अंग्रेजों के शासन काल में 1857 में सिपाही विद्रोह हुआ था. मौलाना लियाकत अली अल्लाहाबाद के गवर्नर थे .इसी बाग में सिपाही छुपकर अग्रेजो के खिलाफ रणनीति बनाते थे लेकिन अंग्रेज़ इस विद्रोह को ख़त्म कर देते हैं और बाद में खुसरोबाग (Khushro Bagh) पर कब्जा कर लेते हैं.

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