इलाहाबाद शहर पर शेर-ओ-शायरी

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इलाहाबाद शहर पर शेर-ओ-शायरी

इलाहाबाद अपने संगम की खूबसूरती, अपनी क़दमी तहज़ीबी रिवायतों और मिलजुल कर रहने के कल्चर की वजह से शायरों के लिए बहुत दिलचस्प शहर रहा है. इलाहाबाद की इन मुऩफरिद हैसियतों पर बहुत सी नज़्में भी लिखी गई हैं लेकिन यहां हम ग़ज़लों से कुछ शेरों (इलाहाबाद शहर पर शेर-ओ-शायरी) का इन्तिख़ाब आप के लिए पेश कर रहे हैं, इस शहर की याद ताज़ा करिए……

 

तीन त्रिबेनी हैं दो आंखें मिरी

अब इलाहाबाद भी पंजाब है

-इमाम बख़्श नासिख़

 

कुछ इलाहाबाद में समाॉं नहीं बहबूद के

यॉं धरा क्या है ब-जुज़ अकबर के और अमरूद के

– अकबर इलाहाबादी

 

या इलाहाबाद में रहिए जहॉं संगम भी हो

या बनारस में जहॉं हर घाट पर सैलाब है

-क़मर जमील

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